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कृषि कथा
कृषि आज भी भारत का मुख्य व्यवसाय है, और यही वह मानव-उद्यम है जिसे मनुष्य-सभ्यता का प्रस्थान-बिन्दु कहा जा सकता है। कृषि का आरम्भ होने के बाद ही गाँव और नगर अस्तित्व में आए। कहा जा सकता है कि पहले कृषक समाज अस्तित्व में आया, शासकों, पुरोहितों, चिन्तकों, शिल्पकारों और कारीगरों का उद्भव बाद में हुआ। आज हमारे सांस्कृतिक जीवन के अनेक अनुष्ठान, संस्कार और पर्व मूलतः कृषि से जुड़े हुए हैं। जैसे होली मूलतः नए अन्न के आगमन का उत्सव है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत के इतिहास को ठीक से समझने के लिए कृषि-उत्पादन के इतिहास को समझना बेहद जरूरी है।
यह पुस्तक आदिकाल से अब तक कृषि के क्षेत्र में हुए विकास का चरणबद्ध परिचय देती है और इतिहास में कृषि के योगदान को रेखांकित करती है। जंगलों में भोजन की तलाश में भटकते पुराकालीन मानव से लेकर आज तक, विशेषकर भारत में अलग-अलग कालखंडों में कृषि-व्यवसाय में आई तब्दीलियों को चिह्नित करती हुई यह पुस्तक बताती है कि कृषि ही व्यवसाय है जिसमें आज की सभ्यता की नींव पड़ी हुई है।
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